Selected Plays for
2nd National theatre Festival.
23 October 2024
AGP वर्ल्ड प्रोडक्शन, मुंबई | नाटक - बर्फ
निर्देशक- सौरभ शुक्ला
लेखक- सौरभ शुक्ला
"बर्फ" एक रोमांचक हिंदी थ्रिलर है, जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बॉलीवुड अभिनेता सौरभ शुक्ला ने लिखा, निर्देशित और अभिनय किया है। यह नाटक कश्मीर की खूबसूरत पहाड़ियों में स्थापित है, जहां डॉ. कौल एक रहस्यमय गांव में आकर एक रात के दौरान चौंकाने वाली घटनाओं का सामना करते हैं। बर्फ से ढकी घाटी की पृष्ठभूमि और मंच पर गिरती बर्फ का दृश्य दर्शकों को कश्मीर की ठंडी और सजीव दुनिया में ले जाता है।
निर्देश का कहना है कि यह नाटक अपनी दृश्य भव्यता और जटिल कहानी के लिए सराहा गया है, जो दर्शकों को अपनी ठंडी और आकर्षक दुनिया में खींच लेती है। यह प्रदर्शन केवल एक नाटक नहीं है; यह एक ऐसा अनुभव है जो अंतिम पर्दा गिरने के बाद भी गूंजता रहेगा। यह नाटक सत्य, यथार्थ और विश्वास की गहन खोज पर आधारित है, जो आपको कहानी के हर मोड़ पर रोमांचित और उलझाए रखेगा।
24 October 2024
रंग विदुषक, भोपाल | नाटक - ज़िंदगी और जोंक
निर्देशक- बंशी कौल
कहानी- अमर कांत
अमरकान्त की एक चर्चित कहानी है। लोगों के छोटे-मोटे काम कर बदले में भोजन मांग कर जीवन यापन करने वाला एक परजीवी चरित्र कहानी के केन्द्र में है। जो अपने गाँव की विषम आर्थिक परिस्थिति से उखड़ कर शहर के एक मोहल्ले में अपना डेरा डाल लेता है। शिवनाथ बाबू, उसे साड़ी की चोरी के संदेह के कारण पीटते है, बाद में पता चलता है कि साड़ी घर पर ही है। लेकिन उस गरीब एक परजीवी को उस गलती की सजा मिल चुकी थी, जो उसने कभी की ही नहीं थी। परिणाम स्वरूप अब मुहल्ले वाले उसके प्रति सहानुभूति रखने लगे और बचा हुआ या जूठा खाना उसे खाने को दे देते। एक दिन शिवनाथ बाबू उसे बुलाकर अपने घर ले जाते है और वहीं उसका नामकरण होता है "रजुआ"।
मुहल्ले के सभी लोग रजुआ पर अपना बराबर का हक समझते। वह पूरे मुहल्ले का नौकर बन गया था। इस कारण अब रजुआ भी थोड़ा ढीठ हो गया था। मुहल्ले की औरतों से हँसी-मजाक भी करने लगा था। शहर में गन्दगी के कारण उसे हैजा, फिर खुजली की बीमारी होने से अब कोई उसे अपने यहाँ नहीं आने देता था। इसी बीच एक लड़का, कथावाचक को सूचना देता है कि, रजुआ मर गया और वह एक चिट्ठी रजुआ के घर भेज कर सबको सूचित कर दे। पूरा मोहल्ला रजुआ के जाने से शोकाकुल हो जाता है। पर दो-चार दिन बाद रजुआ, कथावाचक के समक्ष उपस्थित होकर बताता है कि उसके सिर पर कौआ बैठ गया था और इस अपशकुन को टालने का एक तरीका यह है कि संबंधित व्यक्ति के झूठमूठ मरने की खबर फैला दी जायें।
कथावाचक यह नहीं समझ पाता हैं कि वह जिन्दगी से जोंक की तरह लिपटा है या फिर खुद ज़िन्दगी। वह जिन्दगी का खून चूस रहा था या ज़िन्दगी उसका? इतने अभावों में जिन्दगी के प्रति मोह, उसकी जिजीविषा को प्रकट करती है।
25 October 2024
रंगकर्मी थिएटर ग्रुप, कोलकाता | नाटक - अभी रात बाकी है
निर्देशक - साउती चक्रबर्ती
लेखक- जयंत पवार
"आधान्तर", एक प्रतिष्ठित नाटक है जो टेक्सटाइल उद्योग तथा उससे जुड़े लोगों की परिस्थितियों का भाववाहक विवरण करता है। विख्यात मराठी नाटककार एवं आलोचक श्री जयंत पवार जी ने समसामयिक काल को ऐसी यथार्थता से दर्शाया है। इस नाटक का अनुवाद श्री कैलाश सेंगर जी ने हिंदी में किया और नाम "अभी रात बाकी है" रखा गया, जो कि रंगकर्मी की अन्यतम प्रस्तुतीकरण है।
इस नाटक ने, पिछले शतक के अंतिम दो दशकों के दौरान बंबई की आर्थिक-सामाजिक व राजनीतिक स्थितियों पर, रोशनी डाला है। वह एक ऐसा समय था जब वैश्विकरण का तूफान दुनिया पर टूट पड़ा था और बाकी सारे उद्योग बंध हो रहे थे। वैश्विकरण का प्रभाव दर्शनशास्त्र की बदलती छटाओं का कारण बना।
26 October 2024
बीएनए रंगमंडल, लखनऊ | नाटक - निर्माण से निर्वाण तक
निर्देशक- बिपिन कुमार
लेखक- विजय मिश्रा
उड़िया के प्रसिद्ध नाटककार ना विजय मिश्र द्वारा लिखित 'तट निरंजना' पर आधारित है। इस नाटक में, लेखक 'नदी भू-आकृति विज्ञान' के रूपक को लेकर कथा का नैरेटिव गढ़ता है, जो विभिन्न अनुक्रमों के अनुरूप दृश्यमान होता है जैसे नदी का पहला चरण (युवा चरण), नदी का दूसरा चरण (परिपक्व चरण), और नदी का तीसरा चरण (बृद्ध चरण)। नाटक के प्रमुख पात्र नीललोहित और इच्छामती गौतम बुद्ध के युवावस्या के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनके मन के विभिन्न चरणों को दर्शात है। नीललोहित भ्रमित है, जबकि इच्छामती सबल है। नदी के पहले चरण में पानी का वेग बहुत अधिक होता है, नीललोहित आनन्द के 'नियमों व विनियमों' और इच्छामती के 'दृढ़ व मुक्त विचारों' के बीच फंसा हुआ है।
27 October 2024
रंग विनयक रंगमंडल, बरेली | नाटक - अवेकनिंग-द स्लीपिंग सिकनेस सागा
निदेशक - शुभा भट्ट भासीन
लेखक- ओलिवर सैक्स